BA Semester-5 Paper-1 Geography - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |

उत्तर -

सतत् विकास का स्वरूप

इस बात पर विचार करते हुए कि हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए विरासत में क्या छोड़ते हैं और क्या करते हैं, हमें भौतिक और मानव पूंजी की पूरी श्रृंखला और प्राकृतिक संसाधनों के बारे में सोचना चाहिए, जो उनके कल्याण का निर्धारण करेगी। सतत् विकास के सिद्धान्त को अपनाने के लिए सोच में मौलिक परिवर्तन की आवश्यकता होगी। निर्णय निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले डाटा के संसाधनों की कमी और प्रदूषण की सही लागतों को प्रतिबंधित करना चाहिए, क्योंकि वे आय उत्पादक के कम होते संसाधनों की अब अल्पकालिक लाभों की अपेक्षा भावी पीढ़ियों को प्रभावित करता है। डाटा को वर्तमान आवश्यकताओं के साथ भविष्य की जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए, न कि उन्हें कम करना चाहिए, जो अल्पकालिक प्रभावों के पक्ष में निर्णय लेते हैं।

सिरिकेसी - वौर्टेप ने - मानवीय गतिविधियों को सीमित करके पर्यावरण के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के अधिक शोषण से बचने के कारण संरक्षण के लिए सुरक्षित न्यूनतम मानकों के उपयोग पर जोर दिया, जो इसे पर्यावरण निम्नकरण को विराम देने या रद्द करने के लिए असंवैधानिक बनाते हैं। इस प्रकार, सतत् विकास के विचार के लिए आर्थिक और पर्यावरणीय, दोनों प्रणालियों के लिए स्थानीय सीमा स्तरों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, ब्राजील जैसे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि विकास के लिए वनों की कटाई आवश्यक हो सकती है, लेकिन यह वैश्विक पारिस्थितिक सततता के लिए घातक और हानिकारक सिद्ध हो सकती है, जब एक देश तेजी से जनसंख्या वृद्धि या आकस्मिक शहरीकरण का अनुभव करता है, तब सकल राष्ट्रीय उत्पाद या जी०एन०पी० (Gross National Product) वृद्धि, प्रमुख विकास समस्याएं छिपा सकती हैं। वहीं कठिनाई उत्पन्न होती हैं, जहाँ विश्व किसी देश या क्षेत्र से कच्चे संसाधनों की मांग करता है, जो वैश्विक जरूरतों को पूरा करते हैं। संक्षेप में, जब तक हम सततता को परिभाषित करने के लिए तैयार होते हैं जिसमें उत्तर में खाद्य नीतियों से बाहरी खतरों और दक्षिण में जनसांख्यिकीय दबाव से आंतरिक खतरों दोनों का अध्ययन शामिल हो, तब तक यह भ्रम बना रहेगा।

इसी प्रकार, भारत में भूमि दबाव (Land Pressure) की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए- 

(i) जनसंख्या वृद्धि दर की जांच करना और नियंत्रित करना;
(ii) संतुलित पशुधन विकास को सुनिश्चित करना;
(iii) भूमि हस्तांतरण पर नियंत्रण करना आवश्यक है।

दूसरी ओर, जब विश्व आयोग यह कहता है कि - " सतत् विकास के लिए आवश्यक है कि वायु, जल और अन्य प्राकृतिक तत्वों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव कम से कम पड़े, ताकि पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र अखंडता को बनाए रखा जा सके", सफलता को आंकना कोई आसान कार्य नहीं है।

इन कठिनाइयों को स्वीकार करते हुए, विश्व आयोग (World Commission) ने उल्लेख किया कि सतत् विकास में सफलता के उपायों को संदर्भ और सामाजिक चुनौतियों को पूरा करने की आवश्यकता का ध्यान रखना चाहिए। सततता के पहलू पर्यावरणीय प्रशासकों से यह मांग करता है कि सततता के लक्ष्य हों-

(i) जैवमंडल के कार्य के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र और सम्बन्धित पारिस्थितिकी प्रतिक्रियाओं को बनाए रखना;

(ii) वनस्पतियों और जीवों की सभी प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवासों में अतिजीवन और संरक्षण को सुनिश्चित करके जैविक विविधता को बनाए रखना;

(iii) जीवित प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्र के दोहन में सर्वोत्तम सतत् उपज के सिद्धान्त का पालन करना;

(iv) महत्वपूर्ण पर्यावरण प्रदूषण या नुकसान को रोकना या कम करना;

(v) पर्याप्त पर्यावरणीय संरक्षण मानकों की स्थापना करना;

(vi) प्रमुख कानून नीतियों, परियोजनाओं, और प्रौद्योगिकियों को सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण मूल्यांकन आरंभ करना है, जो सतत् विकास में योगदान देती है; और

(vii) प्रदूषण के हानिकारक या संभावित रूप से हानिकारक निवारण के सभी मामलों में देरी किए बिना सभी प्रासंगिक जानकारी सार्वजनिक करना, विशेष रूप से रेडियोधर्मी निवारण (Radioactive Release) की।

रियो शिखर सम्मेलन (Rio Summit) में यह माना जाता था कि ब्रंटलैंड रिपोर्ट में सततता की स्पष्ट परिभाषा का अभाव है। विश्व बैंक के पर्यावरण विभाग ने अब एक नई परिभाषा तैयार की है। यह दो भागों में है-

आउटपुट गाइड (Output Guide ) -  औद्योगति के बिना स्थानीय वातावरण की समावेश क्षमता के भीतर अपशिष्ट उत्सर्जन होना चाहिए;

इनपुट गाइड (Input Guide ) -  नवीकरणीय संसाधनों की पैदावार दरें प्राकृतिक सुधार क्षमता के भीतर होनी चाहिए; गैर-नवीकरणीय संसाधनों की कमी दर उस दर के समान होनी चाहिए, जिस पर नवीकरणीय विकल्प विकसित किए गए हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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